Gunjan Kamal

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अधूरे रिश्ते

" भाभी! आप शांत हो जाए, रोए नही। मुझे उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास है कि भैया की शराब पीने की लत छूट जाएगी और वह हम सबके साथ प्यार से रहेंगे।" रानी के देवर किशन ने उसे समझाते हुए कहा।


" हां भाभी!  आपके देवर बिल्कुल ठीक कह रहे है, इन्होंने नशा मुक्ति  केंद्र में बात भी की है। इनका एक दोस्त उसी में काम करता है और उस दोस्त ने आश्वासन दिया है कि तुम्हारे भैया की यह लत छूट जाएगी।" किशन की पत्नी जया ने अपनी जेठानी की ऑंखों से गिरते हुए आंसूओं को अपने हाथों से पोंछते हुए कहा।


कुछ देर तक बैठक में खामोशी छाई रही। किशन के दोनों बच्चे और रानी का एकलौता बेटा लाॅन में खेल रहे थे। किशन और रानी दोनों ही नहीं चाहते थे कि उस बैठक में  हो रही  बातचीत तीनों बच्चों के कानों में जाए। तीनों बच्चे उस उम्र में थे जहां पर यदि वह अपने पिता और चाचा के बारे में ऐसी बातें सुन लेते, तो हो सकता था  कि ये बात आगे चलकर उनकी नफरत का भी कारण जाएं।


"जानती है भाभी! हम दोनों भाइयों को पिताजी ने कभी प्यार से अपने सीने से नहीं लगाया। माॅं के ऑंचल की छांव में हम दोनों भाई बड़े हो रहे थे और रोज ही अपने पिता के डगमगाते कदमों को घर में दाखिल होते हुए देख कर दुबक कर माॅं के ऑंचल में छुप जाते थे।


ना तो कभी हमारी माॅं  को ही पति का और ना ही हम दोनों भाइयों को पिता की छत्रछाया मिली। हमारी माॅं का हमारे पिता से रिश्ता अधूरा ही रहा। कहते हैं कि पति - पत्नी के बीच आपसी प्यार और समझदारी ही उनके रिश्ते को पूर्ण करती है लेकिन हमारे पिता का रिश्ता अपनी पत्नी से तो क्या, अपने खून से भी अधूरा ही रहा।


हमारी माॅं ने भी हमारे पिता के जुल्मों - सितम से हार  मानकर एक दिन अपनी जिंदगी को अलविदा कह दिया और हम दोनों भाइयों को एक ऐसे पिता के सानिध्य में छोड़ दिया जिसे अपने पिता होने की जिम्मेदारियों का एहसास तक नहीं था।


उस उम्र में बड़े भाई होने के फर्ज को भैया ने नहीं निभाया और इसका कारण यह था कि  वह तो एक पिता के फर्ज को निभाने में लगे हुए थे। मां के जाने के बाद उनकी पढ़ाई छूट गई लेकिन उन्होंने  खुद मजदूरी कर मुझे पढ़ाया लिखाया और मुझे  इस काबिल बनाया कि मैं पूरे परिवार के लिए कुछ कर सकूं।


भैया बुरे नहीं है, उनका स्वभाव भी बुरा  नहीं है, यह तो  शराब की लत ने उन्हें अपने उस खून के समीप कर दिया है जिसे बचपन में हम दोनों ही नफरत करते थे। मुझे तो अभी भी  यकीन नहीं हो रहा है कि भैया ने आप पर हाथ उठाया। अपनी नजरों से नहीं देखा रहता तो शायद मुझे इस बात पर यकीन नहीं होता लेकिन इन नजरों ने उन्हें ऐसा करते हुए देखा है। ऐसे तो मैंने अपने दोस्त से इस बारे में पहले ही बात कर रखी थी लेकिन हम सब के रिश्तो में जो इस शराब की लत की वजह से अब जो अधूरापन आ गया है उसे मुझे जल्द से जल्द दूर करना है और दूर ही  नहीं करना बल्कि उन  रिश्ते को पूर्णता भी देनी है।" किशन ने एक दृढ़ संकल्प के साथ अपनी भाभी रानी की तरफ देखते हुए कहा।


किशन उसकी पत्नी जया और रानी के अथक प्रयासों ने अधूरे रिश्ते हो पूर्णता प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब छोटे भाई ने अपने बड़े भाई की जिम्मेदारी उसी तरह ले ली थी जैसे माॅं की मृत्यु के बाद उसके बड़े भाई ने उसका पिता बनकर ली थी। दो साल के भीतर ही किशन का परिवार एक हॅंसता - खेलता परिवार बन चुका था।  दो साल पहले तक जिन अधूरे रिश्तों का वर्चस्व चारों तरफ दिख रहा था अब उन्हीं अधूरे रिश्तो का नामोनिशान तक उस परिवार में नहीं था।


                                                             धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻

गुॅंजन कमल 💓💞💗
०९/०१/२०२३


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10 Comments

प्रिशा

04-Feb-2023 07:57 PM

Very nice

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Pranali shrivastava

18-Jan-2023 04:56 PM

शानदार

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Mahendra Bhatt

13-Jan-2023 10:19 AM

शानदार

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